सीलन होने के कारण
घर की दीवारों या बाथरूम में होने वाली सीलन केवल बारिश के कारण ही नहीं आती, बल्कि ग्राउंड वाटर (जमीन का पानी) जो दीवारों से चढ़ता हुआ बिल्डिंग के ऊपर तक आ जाता हैभी एक बड़ा कारन होता है।
घर बनाते वक्त डीपीसी (डैंप प्रूफिंग कोड) को ठीक से न करवाना, इसी तरह दीवारों पर प्लास्टर करते वक्त दरारों का रह जाना, इस के अलावा किचन या टौयलेट की पाइप लाइन में कोई लीकेज का होना घर में सीलन होने का मुख्य कारण होते हैं।
सीलन से बचाव के उपाय
अगर बारिश के पानी से सीलन है तब बाहरी दीवारों की दरारों को उचित प्लास्टर करवा कर ठीक किया जा सकता है। और अगर सीलन अंदर से है तब वाटर टैंक में थोड़ा सा पानी भर कर उस में कपड़ों में डाले जाने वाले नील को मिला दें जब टैंक का पानी पाइप से घर में आएगा तो लीकेज वाली जगह पर नीला रंग नजर आएगा. इस से लीकेज की सही जगह का पता चल जाएगा और उचित मरम्मत हो सकेगी।
वाटरप्रूफिंग प्रोडक्ट्स सीलन से बचने के लिए काफी असरदार होते हैं. इन में भी 3 तरह की रेंज होती हैं- एक जिसे डायरैक्ट पेंट की तरह एप्लाई किया जाता है. इसे वाटरप्रूफिंग वन और वाटरप्रूफिंग टू कंपाउंड कहते हैं. दूसरी चीज होती है एलडब्ल्यू प्लास्टो जिसे सीमेंट के अंदर मिला कर प्लास्टर किया जाता है और तीसरा होता है ऐपौक्सी. यह पेंट के फौर्म में भी होता है, जो थोड़ा सा प्लास्टिक जैसा होता है. इस से दरारें नहीं आतीं और सीलन होने का खतरा कम होता है।
बरसात के मौसम में बाहरी दीवारों के प्लास्टर को चैक कर लिया करें अगर दरारें नजर आएं तो दोबारा से वाटरप्रूफिंग कंपाउंड मिला कर प्लास्टर करवा लें ।
जब भी पेंट करवाएं उस से पहले दीवारों की दरारों को भरवाने के बाद ही पेंट करवाएं. बाहरी दीवारों की दरारें ठीक होंगी तो उन पर किया गया वाटरप्रूफ पेंट बहुत सुरक्षा का काम करता है।
आज कल सीलन से बचने के लिए दीवारों पर टाइलें भी लगवा लेते हैं। जिससे सीलन बिलकुल नहीं आती।
उपयोगी सुझाव नए निर्माण से पहले
आप नया घर बनवाने में डैंप प्रूफिंग कोड करवाना न भूलें, बिल्डिंग के बेसमैंट में वाटरपू्रफिंग करवाना बहुत आवश्यक है।
सीलन का मुख्य कारण ग्राउंड वाटर होता है,अगर ग्राउंड वाटर एक दीवार पर चढ़ता है तो पूरी बिल्डिंग पर चढ़ जाता है सो उसको रोकने की व्यवस्था करें ।
आजकल घरों में पीवीसी के पाइप लगते हैं, इसलिए पाइप से सीलन का खतरा कम हो गया है।
बाहरी दीवारों का प्लास्टर वाटरप्रूफिंग कंपाउंड डाल कर कम से कम 15 एमएम मोटाई का होना चाहिए।